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Punjab news: चंडीगढ़ में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या, आंकड़े चौंकाने वाले, पंजाब और हरियाणा से भी आगे

Punjab news: चंडीगढ़, जो देश के सबसे शिक्षित शहरों में गिना जाता है, अब बेरोजगारी के मामले में भी किसी से पीछे नहीं है। यहां के बेरोजगारों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और यह स्थिति अब चिंता का विषय बन चुकी है। चंडीगढ़, जो एक समय रोजगार के लिए आकर्षण का केंद्र था, अब बेरोजगारी के मामले में पंजाब और हरियाणा को भी पीछे छोड़ चुका है। चंडीगढ़ की बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत पहुंच चुकी है, जो देश के औसत बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत से लगभग दोगुनी है।

चंडीगढ़ में बेरोजगारी दर: आंकड़ों का खुलासा

राज्यसभा में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार, चंडीगढ़ की बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत है, जबकि पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा की बेरोजगारी दर क्रमशः 5.5 प्रतिशत और 3.4 प्रतिशत है। चंडीगढ़ इस समय देश के उन चार राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में शामिल है, जहां बेरोजगारी सबसे अधिक है। इसके अलावा, गोवा (8.5 प्रतिशत), केरल (7.2 प्रतिशत), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (11.8 प्रतिशत) और लक्षद्वीप (11.9 प्रतिशत) भी चंडीगढ़ से अधिक बेरोजगारी दर वाले क्षेत्रों में शामिल हैं।

इसी परिप्रेक्ष्य में, केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री, श्रीमान मंसुख मंडाविया ने राज्यसभा में बेरोजगारी दर के आंकड़े प्रस्तुत किए, जिनके द्वारा यह जानकारी दी गई कि चंडीगढ़ में शिक्षा प्राप्त बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है, जो विशेष रूप से चिंता का विषय है।

Punjab news: चंडीगढ़ में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या, आंकड़े चौंकाने वाले, पंजाब और हरियाणा से भी आगे

उद्योगों का पलायन: बेरोजगारी का एक बड़ा कारण

चंडीगढ़ में बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़ों का एक प्रमुख कारण यहां के उद्योगों का पलायन है। चंडीगढ़ में उद्योगों की संख्या कम होने के कारण यहां रोजगार के नए अवसर सीमित हैं। चंडीगढ़ में भूमि की कमी, सख्त नियमों और सुविधाओं के अभाव के कारण उद्योगों ने पंजाब और हरियाणा के अन्य शहरों में अपना स्थान बदल लिया है।

पिछले तीन से चार वर्षों में 150 से अधिक औद्योगिक इकाइयों ने चंडीगढ़ से पलायन किया और इन इकाइयों ने पंजाब और हरियाणा के शहरों को अपना नया गंतव्य चुना। इस पलायन के कारण यहां रोजगार के नए अवसर पैदा नहीं हो पा रहे हैं, और बेरोजगारी का स्तर बढ़ रहा है।

सरकारी नौकरियों में कमी: भर्ती प्रक्रिया में रुकावट

चंडीगढ़ में बेरोजगारी की बढ़ती दर के पीछे सरकारी नौकरियों में कमी भी एक बड़ा कारण है। प्रशासनिक और नगरपालिका निगम में नियमित पदों की संख्या में लगातार कमी आ रही है, जिसके परिणामस्वरूप भर्ती की प्रक्रिया धीमी हो गई है। इसके बजाय, आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है।

वर्तमान में चंडीगढ़ प्रशासन में कुल 4300 खाली पद हैं, जिनमें से अधिकांश सरकारी कार्यालयों और विभागों में हैं। इसके अलावा, चंडीगढ़ नगर निगम में नियमित कर्मचारियों की संख्या 2019-20 में 3407 थी, जो अब घटकर 2362 रह गई है। इसी दौरान, आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या 3072 से बढ़कर 6965 हो गई है।

शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में भी हैं खाली पद

चंडीगढ़ के विभिन्न विभागों में कई पदों पर नियुक्तियां लंबित हैं, जिससे बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, और परिवहन विभाग में बड़ी संख्या में पद खाली हैं। उदाहरण के लिए, शिक्षा विभाग में 1500 शिक्षक के पद खाली हैं, जबकि पंजाब विश्वविद्यालय में 600 से अधिक शिक्षक के पद खाली हैं। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में 100 से अधिक पद खाली हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग में 200 से अधिक, पुलिस विभाग में 250 से अधिक, और परिवहन विभाग में 200 से अधिक पदों पर भर्ती नहीं हो पाई है।

चंडीगढ़ में सरकारी नौकरियों में कमी के कारण युवाओं के पास सीमित विकल्प हैं। इसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी दर में वृद्धि हो रही है, और युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख करने को मजबूर हैं।

युवाओं के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

चंडीगढ़ में बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़ों के बावजूद, स्थानीय सरकार और विभिन्न संस्थाओं द्वारा युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, बेरोजगारी की समस्या का समाधान एक चुनौती बनकर उभरा है। चंडीगढ़ प्रशासन को चाहिए कि वह अधिक से अधिक उद्योगों को आकर्षित करने के लिए उपयुक्त नीतियां तैयार करे, ताकि रोजगार के अवसर बढ़ सकें।

साथ ही, सरकारी और निजी क्षेत्र में अधिक नियमित नौकरियों के अवसर पैदा किए जाएं, ताकि बेरोजगारी की दर को कम किया जा सके। बेरोजगार युवाओं को कौशल विकास की दिशा में भी प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि वे तकनीकी और पेशेवर रूप से सक्षम हो सकें।

चंडीगढ़, जो अपने शिक्षा और विकास के लिए प्रसिद्ध है, अब बेरोजगारी के मामले में भी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। बेरोजगारी की बढ़ती दर, उद्योगों का पलायन, और सरकारी नौकरियों में कमी जैसी समस्याएं चंडीगढ़ के युवाओं के लिए चिंता का कारण बन चुकी हैं। प्रशासन को इन समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि चंडीगढ़ को एक बार फिर रोजगार के अवसरों का केंद्र बनाया जा सके।

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